भगवान राम को किस ऋषि के श्राप के कारण माता सीता से दूर रहना पड़ा; जाने

जब स्वर्गलोक में देवासुर संग्राम चल रहा था तो राक्षसों से देवता हारने लगे तथा देवलोक पर संकट के बदल मंडराने लग। तभी सभी देवता राक्षसों के प्रकोप के कारण परेशान हो गए और स्वर्गलोक पर संकट के बदल मंडराने लगे तो सभी देवर भगवान विष्णु के पास जाकर उनसे मदत की गहुआर लगाने लगे। जिस पर भगवान विष्णु को गुस्सा आ गया और भगवान विष्णु से बचने के लिए सारे असुर अपनी जान बचने के लिए भागते भागते भृगु ऋषि के आश्रम में आ गए उस समय भृगु ऋषि अपने ध्यान में मगन थे। तभी आशुरो ने भृगु ऋषि की पत्नी से अपनी जान बचने की भिक्षा मांगने लगे जिस पर भृगु ऋषि की पत्नी को उन अशुरो पर दया आ गई और उन्होंने आशुरो को वचन दिया की वो अपनी जान दे देंगी पर उनको कुछ नही देंगी। तभी वहा सभी देवताओं के साथ भगवान विष्णु पहुंच गए था माता ख्याति से उन अशुरो के सामने से हटने के लिए बोलने लगे जिस पर माता ख्याति ने उनसे कहा की तुम्हे इन शुरू को मरने से पहले मुझे मरना होगा तो भगवान विष्णु ने माता ख्याति की आज्ञा का पालन करते हुए अपने सुदर्शन चक्र का पिरहर करते हुए आशुरो के साथ साथ माता ख्याति का भी वध कर दिया। इसी बात से गुस्सा होकर ऋषि भृगु ने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया की जिस प्रकार मै सारी उम्र अपनी पत्नी के बिना बिताऊंगा उसी प्रकार तुम भी इस धरती लोक पर जन्म लोगे था तुम्हे भी अपनी पत्नी के वयोग में सारी उम्र रहना पड़ेगा

भृगु ऋषि के श्राप के कारण ही भगवान विष्णु को राम अवतार में कई बार माता सीता से बिछड़ना पड़ा एक बार तो जब भगवान राम जब वनवास जाते हैं तो रावण माता सीता का अपराह्न कर लेता हैं तथा जब वे वापिस आयोधा लोट आते है और भगवान राम राजा बन जाता है तो वो एक बार अपना रूप बदल कर नगर में घूमने जाते है और प्रजा की बात सुनने के कारण भगवान राम माता सीता का त्याग कर देते है जिस कारण वो पूरी जिंदगी माता सीता के वियोग में कटते है।

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